** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
**नोट = जरूरी इन बातो को आप स्वीकार कर लेवे।**
(1). मनुष्यो यह पता नहीं है कि भोलानाथ किसको कहा जाता है। यह भी
नहीं जानते कि शिव शंकर अलग-अलग हैं। वह शंकर देवता है, शिव बाप है।
नहीं जानते कि शिव शंकर अलग-अलग हैं। वह शंकर देवता है, शिव बाप है।
(2). वहाँ(सतयतुग) तो है ही एक धर्म, एक राज्य। आपस में कोई झगड़ा नहीं होता। यहाँ तो राजाई है नहीं। खुद ही गाते हैं कि हम पतित विशश हैं। भारत सतयुग में सम्पूर्ण निर्विकारी था। निर्विकारी देवताओं को विकारी मनुष्य पूजते हैं। फिर निर्विकारी ही विकारी बनते हैं। यह किसको पता नहीं है। पूज्य तो निर्विकारी थे फिर पुजारी विकारी बने हैं तब तो बुलाते हैं हे पतित-पावन आओ, आकर निर्विकारी बनाओ।
(3). दैवी(देवी,देवता) फैमिली सतयुग त्रेता तक चलती है। फिर रावण(काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार) राज्य (द्वापर युग से) होने से भूल जाते हैं कि हम दैवी फैमिली के हैं। वाम मार्ग में जाने से आसुरी फैमिली हो जाती है। असुल तुम देवी देवता धर्म के हो। सतयुग के आगे था कलियुग। संगम पर तुमको मनुष्य से देवता बनाया जाता है। बीच में है यह संगम। संगम युग के बारे अधिक जानने के लिये आज ही संपर्क करे — प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय या पीस आफ मांइड चैनल(pmtv) देखिए ।
(4). ब्रह्मा विष्णु शंकर तीनों हैं शिव के बच्चे। भारत को फिर से स्वर्ग बनाते हैं ब्रह्मा द्वारा। शंकर द्वारा पुरानी दुनिया का विनाश होता है, भारत में ही बाकी थोड़े बचते हैं। प्रलय तो होती नहीं, परन्तु बहुत खलास हो जाते हैं तो जैसेकि प्रलय हो जाती है। रात दिन का फ़र्क पड़ जाता है। वह सब मुक्तिधाम(परमधाम)में चले जायेंगे। यह पतित-पावन बाप(परमात्मा) का ही काम है। बाप कहते हैं देही-अभिमानी(अपने को आत्मा समझो)बनो।
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**शिकायत :-
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद।
अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको आपको लगे कि इस पोस्ट विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे।— सहदृय से धन्यवाद
nice thoughts
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