** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
**नोट = जरूरी इन बातो को आप स्वीकार कर लेवे।**
**अन्तराष्ट्रीय योग दिवस पर = ध्यान है धर्म और योग की आत्मा ध्यान की प्रक्रिया बड़ी सरल है। हमे ध्यान और अटेंशन यह देना होता है कि किस विचार को महत्व देना है,किसे नहीं देना है। इसलिए ध्यान करना जरूरी है । ध्यान से ही हम अपने मूल स्वरूप या यू कहे कि स्वयं को प्राप्त कर सकते है, अर्थात हम कही खो गए हैं स्वयं को ढढने के लिए ध्यान ही विकल्प है दुनिया को अपने ऊपर देने की जरूरत है चाहे वह किसी भी धर्म या वेश का व्यक्ति हो। ध्यान से ही व्यक्ति का मानसिक संरचना में बदलाव हो सकता है । ध्यान या अटेंशन हमें एकाग्रता को ओर ले जाता है, एकाग्रता हमें योग या मेडिटेशन की ओर ले जाती है। कहने -का अर्थ है जब हम अंटेशन रखते हैं तो हमारी एकाग्रता बढ़ जाती है और धीरे-धीरे हम जिससे जुड़ना चाहें जुड़ सकते हैं ।
ध्यान के अभ्यास में जागरूकता बढ़ती है, जागरूकता से हमें हमारी और लोगों की बुद्धिहीनता का पता चलने लगता है । ध्यानी व्यक्ति चुप इसलिए रहता है कि वह लोगों भीतर झांककर देख लेता है कि इसके भीतर क्या चल रहा है और वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है। ध्यानी व्यक्ति यंत्रवत(भौतिक सुविधाये ) साधनो का बैलेन्स(भौतिक सुविधाये मिले भी तो अच्छा नही मिले भी तो अच्छा) रखता है।
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद।
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