** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
**नोट = जरूरी इन बातो को आप स्वीकार कर लेवे।**
**श्रीकृष्ण और परमात्मा शिव के महान अन्तर = भाग 3= समाप्त**
10. लक्ष्मी-नारायण की तो महिमा गाई जाती है। लक्ष्मी -नारायण कहने से तुम चले जाते हो सतयुग में। कृष्ण बनने की कथा नही कहते , इसको सत्य नारायण की कथा कहेगे। सत्य कृष्ण की कथा नहीं कहा जाता |सच्चा बाबा(शिवबाबा) ज्ञान सागर यह कथा सुनाते है। सारे सुष्टि (सतयुग, त्रेता,द्वापर,कलियुग) की आदि-मध्य-अन्त कथा है। उसमे श्री लक्ष्मी-नारायण की कथा भी आ जाती है। उसमें 84 जन्मो की कथा दिखलाते है। श्री नारायण की कथा से बेड़ा पार हुआ ।
11. तुम जानते हो अभी है कलियुग। कलियुग के बाद जरूट सतयुग होगा। बाप(परमात्मा) ने कहा है- मैं गाइड बन आया हुआ हूँ. रावण(बुराईया-काम,क्रोध,मोह,लोभ,अंहकार) के चम्बे से छुड़ाये वापिस ले जाने। आत्माओं की ले जाऊगा।गाया भी जाता है आत्मा-परमात्मा रहे बहुतकाल...एसे नही कि कृष्ण रहे बहुतकाला महिमा ही उस निराकर की है- सुन्दर मैला कर दिया जब वह सतगुरू मिला दलाल। यहाँ तो सब गुरु ही हैं। गाया हुआ है - सतगुरू मिला दलाल....सत परपिता परमात्मा दलाल के रूप में मिलते है। सौदा दलाल द्वारा होता है। यह भी सगाई होती है। आत्मा और परमात्मा अलग है। परमात्मा है निराकार वह आकर इसमें (प्रजापिता ब्रह्मा) प्रवेश कर तुम्हारी सगाई करते है। खुद दलाल बनते है। कहते है मुझ परमपिता को याद करो। इस शरीर में बैठ कहते है मामेकम् याद करो। मैं तुमको माया रावण से लिबरेट कर साथ ले जाऊगा, तुमको फिर राजाई देकर मै निर्वाणधाम (परमधाम) मे बैठ जाऊगा। कृष्ण थोड़े ही ऐसे कहेगे। यह है ही आत्मा और परमात्मा। कृष्ण तो है छोटा बच्चा।
*मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद। *अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको लगे कि इस पोस्ट के विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे। = सहदृय से धन्यवाद
No comments:
Post a Comment