** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
**प्रश्न = हमारा मन क्यो भटकता है ?**
नोट =जरूरी इन बातो को सहदृय से आप स्वीकार कर लेवे।
**उत्तर = मन का कार्य जो निरन्तर सोचता रहता है। साथ ही मन को हमेशा नया चाहिए क्योकि मन की आदत है। अब प्रश्न यहा यह है कि मन क्यो भटकता है, चुकि मन हमेशा नया
चाहिए तो वह किसी विचार या कार्य को एकाग्र या ठीक रूप से नही कर पाता है, आप खुद से दिन भर चेक कर ले हमार मन कितनी बार भटकता है। कभी तो मन हमारे पुरानी आदतो के छोडने के बावजूद ग्रहण कर लेता है। क्योकि जब हम कुछ नया करते है तो कुछ दिन बाद उससे बोर हो जाते है।*अब ऐसा क्या करे कि हमारा मन के भटकने की प्रतिशता कम हो जाए। उसके लिए आप के पास जो कुछ जैसे आपका कोई कार्य,आपकी विशेषता आदि जो कुछ है उसे सच्ची दिल से स्वीकार करना सीखे साथ आप कुछ कार्य कर रहे है उसे पुरा करे उसमें जितना भी समय लगे अगर असफलता भी मिले तो उसकी कमियो को खोज करके उसको पूरा करने यत्न किजिए, क्यो कि मन के भटकने के कारण दूसरो को ज्यादा देखना और उनके बारे में सोचना परन्तु हमारे पास क्या है वह महत्तवपूर्ण है। अत: आपके पास जो कुछ है उसे बड़े प्यार से देखे उसे बिना हिचक के स्वीकार करे और उसमे निरन्तरता रूप से निखार लाते जाये जिससे आपके विशेषता में प्रगट हो जायेगा। जब स्वयं के कार्य को देखेगे तो मन आपके कार्य में लगेगा और एकाग्रता की शक्ति बढ़ेगी जायेगी। जिससे हो सकता है हमारे मन की भटकने की प्रतिशत्ता कम हो जाये।
*साथ ही आप एक प्रयोग कर सकते है 21 दिन सोते
समय आपको 108 बार लिखना है मेरा मन बहुत अच्छा सोचता है या फिर आप मन से कुछ वाक्य बना सकते है। अगर आपके लिखना अच्छा नही लगता तो जब फ्री हो इनको मन से दोहरा सकते है पर लिखने और मन से दोहराते समय जो वाक्य है उनकी अनुभूति करनी है।
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद।
अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको आपको लगे कि इस पोस्ट विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे।— सहदृय से धन्यवाद
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