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Tuesday, March 23, 2021

**आज की मुरली का सार 24.03.2021,कृष्ण है सतयुग का प्रिन्स,सर्व का सद्गति दाता एक ही बाप है

                       ** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **

**नोट = जरूरी इन बातो को  आप स्वीकार कर लेवे।**


★(1).-यह अच्छी तरह समझाया जाता है - ब्रह्मा द्वारा परमपिता परमात्मा शिव स्थापना कैसे करेंगे? वह तो जानते नहीं हैं। तुम बच्चे ही जानते हो उनको अपना शरीर है नहीं। कृष्ण को तो अपना शरीर है। ऐसे तो कहा नहीं जा सकता कि परमात्मा श्रीकृष्ण के शरीर द्वारा... नहीं। कृष्ण तो है सतयुग का प्रिन्स। परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा स्थापना कराते हैं तो जरूर ब्रह्मा में प्रवेश करना पड़े। और कोई उपाय है नहीं। प्रेरणा आदि की बात नहीं। बाप(परमात्मा) ब्रह्मा द्वारा सब समझा देते हैं।

★(2).-मनुष्य तो सिर्फ राम-राम कहते हैं। क्रिश्चियन लोग क्राइस्ट को याद करते हैं।  सबको पतित से पावन बनाने वाला तो एक ही बाप(परमात्मा) है। क्राइस्ट के लिए ऐसे नहीं कहेंगे कि वह पतित को पावन बनाने वाला है। उनको जन्म-मरण में आकर नीचे उतरना ही है।  सर्व का सद्गति दाता एक ही बाप है। सो तो जब अन्त हो, झाड़ जड़जड़ीभूत हो तब बाप आकर सबको सद्गति देते हैं। आत्मा ऊपर से आती है धर्म की स्थापना करने। उनको तो जन्म-मरण में आना है। सतगुरू एक ही है। वह सर्व के सद्गति दाता हैं। वह तो सिर्फ आते ही हैं धर्म स्थापन करने, उनके पिछाड़ी सब आने लगते हैं पार्ट बजाने। जब सब तमोप्रधान अवस्था को पाते हैं तब मैं(परमात्मा) आकर सर्व की सद्गति करता हूँ। 

★(3).-गाया भी हुआ है हे प्रभू तेरी सद्गति की लीला। तुम कहते हो वाह बाबा! आपकी गति मत.....सर्व के सद्गति करने की श्रीमत, यह सबसे न्यारी है। बाप(परमात्मा) साथ में ले जाते हैं, छोड़ नहीं जाते हैं। निराकारी, आकारी, साकारी लोक को भी नहीं जानते। सिर्फ सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त(सतयुग, त्रेता,द्वापर, कलियुग) को जानना वह भी कम्पलीट नॉलेज नहीं। पहले तो मूलवतन(परमधाम) को जानना पड़े। जहाँ हम आत्मायें रहती हैं।इस सारे सृष्टि चक्र को जानने से तुम चक्रवर्ती राजा बनते हो। यह सब कितनी समझने की बातें हैं। वह तो कह देते शिव नाम रूप से न्यारा है। चित्र भी हैं फिर भी कहते नाम रूप से न्यारा। फिर कह देते सर्वव्यापी है। 


*प्रश्न = मुलवतन(परमधाम), निराकार बाप(परमात्मा), प्राजपिता ब्रह्या और उनके ब्राह्मण धर्म (ब्रह्माकुमार/कुमारी) के बारे में समझाइये ?
*उत्तर = मुलवतन = जो सबसेे ऊपर रहता है जहाँ आत्माये और परमात्मा का वास रहता है । आत्माये ऊपर से आती है और नीचे शरीर में आकर पार्ट बजाती है। परमधाम में आत्माये ​स्टार मिसल स्थिर और ​स्थिर अवस्था में रहती है। वहाँ शरीर नही रहता है जिससे वहा कोई कर्म नही होता है।

** निराकार बाप =  अर्थात् ​बिन्दु स्वरूप जिस प्रकार आत्मा बिन्दु स्वरूप होती है वैसे ही परमात्मा होते है। जिस प्रकार शरीर के माता पिता सब के अलग-अलग होते है उसी प्रकार आत्माओं के पिता एक ही होते है जिनको परमात्मा शिव या निराकार बाप कहते है।

**प्राजपिता ब्रह्या और उनके ब्राह्मण धर्म = परमात्मा शिव प्राजपिता ब्रह्या के तन में आकर नई सृष्टि अर्थात सतयुग की स्थापन कराते है और  प्राजपिता ब्रह्या मुख से जो आत्माये ज्ञान सुनती है उनको ब्राह्मण धर्म (ब्रह्माकुमार/कुमारी)कहते है और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे— प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय या पीस आफ मांइड चैनल(pmtv) देखिए ।


*प्रश्न= लक्ष्मी-नारायण फिर राम सीता उन्हों की डिनायस्टी कैसे चलती है, फिर उनसे राजाई कौन छीनते हैं, वह स्वर्ग कहाँ गया ?

**उत्तर = लक्ष्मी-नारायण सतयुग में 1250 वर्ष राज्य करने बाद आया त्रेता युग जिसमे राम सीता ने 1250 वर्ष राज्य किया, त्रेता युग खत्म होने के बाद एक बड़ा अर्थक्वेक आदि होता है जिससे सारे महल हीरे,जवाहरात  सब नीचे जमीन में चले जाते है जिसको निकाल नही सकते है, इसका कारण युग परिवर्तन और आत्मा के ज्यादा जन्म होने के कारण आत्मा में 5 विकार(काम, क्रोध, मोह, लोभ ,अहंकार) आ जाते है जिससे सतयुग,त्रेता युग जिनको स्वर्ग कहते है वो खत्म हो जाते है । 

**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद। 

अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर  आपको लगे कि इस पोस्ट के विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे।— सहदृय से धन्यवाद

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