** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
**नोट = जरूरी इन बातो को आप स्वीकार कर लेवे।**
★(1).बाप(परमात्मा) कहते हैं अब सब भक्ति मार्ग में हैं, भक्ति मार्ग को ही रावण राज्य(द्वापर, कलियुग) कहा जाता है। ज्ञान मार्ग(राजयोग) सिर्फ एक बाप ही सिखाते हैं तुम बच्चों(ब्रह्माकुमार/कुमारी) को। उस बेहद के बाप को भक्ति मार्ग में सब याद करते हैं। अभी तुमको 21 जन्म के लिए ज्ञान की राजधानी मिलती है। फिर आधाकल्प(सतयुग,त्रेता) तुम पुकारेंगे ही नहीं। हाय राम... हाय प्रभू कहने की दरकार ही नहीं रहेगी। हाय राम तब करते हैं जब दु:खी होते हैं। तुमको वहाँ(सतयुग,त्रेता) दु:ख होता ही नहीं। अभी तुम जानते हो यह भी खेल बना हुआ है। आधाकल्प है ज्ञान का दिन(सतयुग,त्रेता) , आधाकल्प(द्वापर, कलियुग) है भक्ति की रात। भक्ति हमको नीचे उतारती है।
★(2).स्वर्ग के मालिक कौन बनाये? यह वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होती है। यह भी सब कहते हैं परन्तु अब कौन सी हिस्ट्री रिपीट होगी, यह कोई नहीं जानते। शास्त्रों में तो लिख दिया सतयुग की आयु लाखों करोड़ों वर्ष है। पूछो सतयुग कब आयेगा? कहेंगे अभी 40 हजार वर्ष पड़े हैं। तुम(ब्रह्माकुमार/कुमारी) सिद्ध कर बतलाते हो कल्प की आयु ही 5 हजार वर्ष है। वह फिर सिर्फ सतयुग को ही लाखों वर्ष दे देते हैं। घोर अन्धियारा है ना। तो मनुष्य कैसे मानें भगवान आया होगा। वह समझते हैं भगवान तब आयेंगे जब कलियुग का अन्त होगा। अभी तुम बच्चे इन सब बातों को समझते हो। विनाश सामने खड़ा है। बच्चों को समझाया जाता है कि विनाश के पहले बाप से वर्सा(जायदाद-सतयुग,त्रेता की ) ले लो, परन्तु कुम्भकरण की नींद में सोये पड़े हैं।
★(3).यह किसको पता नहीं, रावण राज्य कब होता है। अभी पुकारते हैं - आकर हमको पावन बनाओ तो जरूर कभी पावन थे ना। भारतवासी बच्चे ही पुकारते हैं - दु:ख से लिबरेट करो, शान्तिधाम ले जाओ। दु:ख हरकर सुख दो। कृष्ण को हरि भी कहते हैं। बाबा(परमात्मा) हमको हरि के द्वार ले चलो। हरि का द्वार है कृष्णपुरी(सतयुग,त्रेता) । यह है कंसपुरी(कलियुग)।
★(4).विलायत से फैशन सीखकर आते हैं। बाल बनाने पर आजकल लड़कियाँ कितना खर्चा करती हैं। उनको कहा जाता है नर्क की परियाँ। बाप(परमात्मा) तुमको स्वर्ग(सतयुग) की परियाँ(देवी-देवात) बनाते हैं। कहते हैं हमारे लिए तो यहाँ ही स्वर्ग है, यह सुख तो ले लेवें। कल क्या होगा - हम क्या जानें। ऐसे अनेक विचार वाले प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में आते हैं।
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद। *अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको लगे कि इस पोस्ट के विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे। = सहदृय से धन्यवाद
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