**आज का विचार = गुणवत्ता कोई संयोग नही है,अच्छी नियत,लगन और बुद्धिमानी एक नतीजा है।
** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
**नोट = जरूरी इन बातो को आप स्वीकार कर लेवे।**
★(1).रूहानी बच्चे, रूहानी बाप(परमात्मा) से अमरकथा सुन रहे हैं - इस मृत्युलोक(द्वापर,कलियुग) से अमरलोक(सतयुग, त्रेता) में जाने के लिए। निर्वाणधाम(परमधाम) को अमरलोक नहीं कहा जाता। अमरलोक जहाँ तुम अकाले मृत्यु को नहीं पाते हो इसलिए उनको अमरलोक कहा जाता है। रूहानी बाप जिसको अमरनाथ कहा जाता है। जरूर अमरलोक में ले जाने के लिए मृत्युलोक में कथा सुनायेंगे। तीन कथायें भारत में ही मशहूर हैं। अमरकथा, सत्य नारायण की कथा, तीजरी की कथा। भक्ति मार्ग में तो तीजरी का अर्थ कोई समझते ही नहीं हैं। ज्ञान का तीसरा नेत्र(आत्मा का परिचय) सिवाए ज्ञान सागर अमर बाबा के कोई दे न सके।
★(2).प्रजापिता ब्रह्मा भी गाया हुआ है। परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा मनुष्य सृष्टि रचते हैं इसलिए ब्रह्मा को प्रजापिता कहते हैं। परन्तु कैसे, कब रचते हैं? यह कोई नहीं जानते। शुरू में मनुष्य नहीं हैं जिनको रचते हैं? बुलाते ही हैं पतित-पावन आओ। तो जब मनुष्य पतित होते हैं तब तो बाप(परमात्मा) आते हैं।
★(3). ऊंच ते ऊंच माँ-बाप(परमात्मा), बाकी हैं बच्चे(हम सभी मनुष्य आत्माये )। अभी माँ बाप से वर्सा(जायदाद-सतयुग,त्रेता की ) मिल सकता है। बाकी कितने भी शास्त्र पढ़ें, कुछ भी करें, वर्सा मिल न सके। करके जो शास्त्र पढ़ते हैं, उनकी बहुत कमाई होती है। वह तो हो गया अल्पकाल के लिए। यहाँ(प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय) तुम बच्चे(ब्रह्माकुमार/कुमारी) सुनते हो तो कितनी कमाई करते हो - 21 जन्म के लिए।
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद। *अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको लगे कि इस पोस्ट के विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे। = सहदृय से धन्यवाद
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