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Thursday, March 18, 2021

**आज की मुरली का सार

                            ** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **

**नोट = जरूरी इन बातो को  आप स्वीकार कर लेवे।**

[1].= यह पढ़ाई (राजयोग) बड़ी सोर्स ऑफ इनकम है। पढ़ाई से ही मनुष्य बैरिस्टर आदि बनते हैं। लेकिन यह पढ़ाई मनुष्य से देवता बनने की है। प्राप्ति कितनी भारी है। इन जैसी प्राप्ति कोई करा न सके। ग्रंथ में गाया हुआ है - मनुष्य से देवता किये करत न लागी वार। परन्तु मनुष्यों की बुद्धि चलती नहीं। जरूर वह देवी-देवता धर्म प्राय:लोप हो गया है, तब तो लिखते हैं मनुष्य से देवता बनें। देवतायें सतयुग में थे। उन्हों को जरूर भगवान ने संगम पर रचा होगा। कैसे रचा ? = यह जानने के लिये आज संपर्क करे = प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय या पीस आफ मांइड चैनल(pmtv) देखिए ।


[2].= विष्णु की नाभी से ब्रह्मा दिखाते हैं। ब्रह्मा और विष्णु यह किसके बच्चे हैं? दोनों बच्चे ठहरे शिव के। वह है रचयिता, वह रचना। इन बातों को कोई समझ न सके। बिल्कुल नई बात है। ज्ञान का सागर बाप है, वही गीता का भगवान है। भक्ति मार्ग में शिव जयन्ती भी मनाते हैं। सतयुग त्रेता में नहीं मनाते। तो जरूर परमात्मा संगम (कलियुग का अंतिम समय और सतयुग के पहले का समय जो अभी चल रहा है) पर ही आते होंगे।


[3].= हम(ब्रह्माकुमार/कुमारी) सभी आत्मिक भाइयो और बहनो को समझाना चाहते है कि तुम भारतवासी तो स्वर्गवासी(सतयुग,त्रेता) थे। भारत ही स्वर्ग था फिर नीचे गिरते-गिरते नर्कवासी(द्वापर, कलियुग) भी बनना पड़े। अब बाप(परमात्मा) कहते हैं  मनमनाभव। शिव भगवानुवाच मामेकम् याद करो। याद(परमात्मा की याद) की यात्रा से तुम्हारे सब पाप नष्ट हो जायेंगे। शास्त्रों में लिखा है - कृष्ण ने भगाया, पटरानी बनाने। तुम सब पढ़ रहे हो, पटरानी(राजा,रानी) बन रहे हो। परन्तु इन बातों को कोई समझ नहीं सकते हैं।


[5].=शिव जयन्ती माना ही भारत को वर्सा(जायदाद सतयुग,त्रेता की ) मिला। शिवबाबा आया, क्या आकर किया। इस्लामी, बौद्धी आदि ने तो आकर अपना धर्म स्थापन किया। बाप ने आकर क्या किया? जरूर स्वर्ग की स्थापना की। कैसे स्थापना की, कैसे स्थापना होती है - = यह जानने के लिये आज संपर्क करे = प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय या पीस आफ मांइड चैनल(pmtv) देखिए ।


[6].=संन्यासियों का है हद का संन्यास और उनका है हठयोग। इसमें(राजयोग) हठ की बात नहीं रहती। यह तो पढ़ाई है। पाठशाला में पढ़ना है, मनुष्य से देवता बनने के लिए। शिव भगवानुवाच - कृष्ण हो न सके। कृष्ण कब नई दुनिया बना न सके। उनको हेविनली गाड फादर नहीं कहेंगे। हेविनली प्रिन्स कहेंगे तो कितनी मीठी-मीठी बातें समझने और धारण करने की हैं।



**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद। 

अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको आपको लगे कि इस पोस्ट विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे।— सहदृय से धन्यवाद



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