** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
**नोट = जरूरी इन बातो को आप स्वीकार कर लेवे।**
शुभ चिन्तक = अर्थात अच्छे विचारो को मन से चलाने वाला, जिससे हमारे तन-मन और आस-पास के वातावरण पर उसका प्रभाव पड़ता है। शुभ-चिन्तक स्थिति सदा रहे - इसका विशेष आधार शुभ-चिन्तन - अर्थात अच्छा सोचने वाला और जो साचेते है फिर मन उस पर कई तरह के विचार चलाता है। वही फिर शुभ चिन्तक कहताता है। शुभ चिन्तक संबंध संपर्क आयेगा वह व्यक्ति तनाव फ्री व हल्क हो जाता है। शुभ चिन्तक हमेशा देने वाला होगा, उसके लिये धन नही उसके लिये शुभ कामना, शुभ भावना व सकारात्मक संकल्प की आवश्यकता होगी।
और जो हम देते है वह भरते जाते है। जहा शुभ चिन्तन
होगा वहा चिंता स्वत: समाप्त हो जायेगी , और आप शुभ चिन्तक बन जायेगे। जब हम शुभ चिन्तक
की अवस्था में रहते है तो संबंध सम्पर्क में आने वाले पर्सन की हिम्मत, उमंग—उत्साह
के पख लग जायेगे और वे उड़ने लगेगे अर्थात् सहयोगी बन जायेगी। शुभ चिन्तक की भावना
और के मन में सहयोग की भावना सहज और स्वत: उत्पन्न करेगी। शुभ चिन्तक आत्माओं के प्रति
हर एक दिल में स्नेह उत्पन्न होता है और स्नेह ही सहयोगी बना देता है। जहाँ स्नेह होता
है, वहाँ समय, सम्पत्ति, सहयोग सदा न्यौछावर करने के लिये तैयार हो जाते है। तो शुभ
चिन्तक स्नेही बनायेगा और स्नेह सब प्रकार के सहयोग में न्यौछावर बनायेगा इसलिए सदा
शुभ चिन्तन में सम्पन्न रहो, शुभ चिन्तक बन सर्व के स्नेही, सहयोगी बनाओ।
शुभ चिन्तक आत्मा सर्व की सन्तुष्टता का सहज सर्टीफिकेट ले सकती है। शुभ चिन्तक की सदा प्रसन्नता की पर्सनैलिटि में रह सकते है।
** शुभ चिन्तक दूसरे का करने के साथ—साथ स्व के प्रति
भी प्रोग्राम बनाओ:—
(1) सदा हर पर्सन के प्रति,और अनेक प्रकार की भावनाए
अर्थात उनके प्रति अलग—अलग सोच परिवर्तन कर एक शुभ—चिन्तक भावना यहा रखेगे क्योकि किसी
प्रर्सन के प्रति अलग—अलग विचार या सोच रखने से आपकी मन की स्थिति विचलित हो सकती है।
(2) सर्व को स्वये आगे बढ़ाते आगे रखने का श्रेष्ठ
सदा देते रहेगे— सर्व स्वय से आगे बढ़ाने में हमे दुसरो से जलन नही रखेगे तभी हम सर्व
स्वय से आगे बढ़ा सकते है,जिससे हम सकारात्मक स्थिति में रहते है ,जिससे सामने वाले
पर्सन जहा श्रेष्ठ सहयोग देते रहेगे।
(3) सदा व्यर्थ— चिन्तन , पर चिन्तन को समाप्त कर अर्थात बीती बातों बिन्दी लगाये, बिन्दी अर्थात मणि बन सदा विश्व को अपनी श्रेष्ठ भावना, श्रेष्ठ कामना, स्नेह की भावना, समर्थ बनाने की भावना की किरण से रोशनी देते रेहेगे।
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद।
अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको आपको लगे कि इस पोस्ट विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे।— सहदृय से धन्यवाद
NICE THOUGHTS
ReplyDelete