** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
** आज का विचार = **चिन्ता उतनी करो कि काम हो जाए, ना कि इतनी कि जिन्दगी तमाम हो जाए।
**आज की मुरली 13.05.2021 का सार :-
★(1).गीता के लिए ही कहते हैं - शिवबाबा आइये क्योंकि वह सबका बाप है। कहते हैं भारतवासियों पर फिर से परछाया पड़ा है, माया रूपी रावण(काम,क्रोध,मोह,लोभ,अहंकार) का, इसलिए सब दु:खी पतित हैं। पुकारते हैं - रूप बदलकर आइये अर्थात् मनुष्य के रूप में आइये। तो मनुष्य रूप में आता हूँ। मेरा आना दिव्य अलौकिक है। मैं गर्भ में नहीं आता हूँ, मैं आता ही हूँ साधारण बूढ़े तन((प्रजापिता ब्रह्मा) में।
★(2).तुम बच्चे जानते हो - मैं कल्प-कल्प अपना निराकारी रूप बदलकर आता हूँ। ज्ञान का सागर तो परमपिता परमात्मा ही है। कृष्ण को कभी भी नहीं कहेंगे। बाप कहते हैं मैं इस साधारण तन((प्रजापिता ब्रह्मा) में आकर तुमको फिर से सहज राजयोग सिखा रहा हूँ।
★(3).वह हमारा सुप्रीम बाप(आत्माओं के पिता), गुरू(मुक्ति,जीवनमुक्ति देते हैं) भी है, सुप्रीम टीचर(प्रजापिता ब्रह्मा के तन में आकर पढ़ाते है) भी है, सुप्रीम गुरू((मुक्ति,जीवनमुक्ति देते हैं) भी है और गुरू लोगों को सुप्रीम नहीं कहा जाता है। यह तो बाप, टीचर, गुरू तीनों हैं। लौकिक बाप तो बच्चे की पालना कर फिर उनको स्कूल में भेज देते हैं। कोई बिरला होगा जो बाप टीचर भी होगा। यह कोई कह न सके। सब आत्मायें मुझे पुकारती हैं, गॉड फादर कहती हैं तो वह आत्मा का फादर हो गया।
★(4).अभी तुम(ब्रह्माकुमार/कुमारी) पुरूषार्थ करते हो - राजयोग सीखने का। बाप{परमात्मा} तुमको ज्ञान का तीसरा नेत्र{आत्मा का परिचय} दे रहे हैं। आत्मा का रूप क्या है - यह भी किसको पता नहीं है। बाप कहते हैं तुम आत्मा न अंगुष्ठे मिसल हो, न अखण्ड ज्योति मिसल हो। तुम तो स्टार हो, बिन्दी मिसल। मैं भी आत्मा बिन्दी हूँ, परन्तु मैं पुनर्जन्म में नहीं आता हूँ। मेरी महिमा ही अलग है, मैं सुप्रीम होने के कारण जन्म-मरण के चक्र में नहीं आता हूँ। तुम आत्मायें शरीर में आती हो। तो 84 जन्म लेती हो, मैं इस शरीर((प्रजापिता ब्रह्मा) में प्रवेश करता हूँ।
**बाप{परमात्मा} समझाते हैं- तुम भी आत्मा हो। परन्तु तुम अपने को रियलाइज़ नहीं करते हो कि हम आत्मा हैं, आत्मा ही बाप को याद करती है। दु:ख में हमेशा याद करते हैं, हे भगवान, हे रहमदिल बाबा रहम करो। रहम माँगते हो क्योंकि वह बाप ही नॉलेजफुल, ब्लिसफुल, प्योरिटी फुल है। ज्ञान में भी फुल है। ज्ञान का सागर है। मनुष्य को यह महिमा दे नहीं सकते हैं। सारी दुनिया पर ब्लिस करना, यह बाप का ही काम है। वह{परमात्मा} है रचयिता, बाकी सब हैं रचना। क्रियेटर रचना को क्रियेट करते हैं। पहले स्त्री को एडाप्ट करते हैं, फिर उनके द्वारा रचना रचते हैं, फिर उनकी पालना भी करते हैं, विनाश नहीं करते। यह बेहद का बाप आकर स्थापना[सतयुग,त्रेता की]-पालना[लक्ष्मी नारायण द्वारा]-विनाश[शंकर द्वारा] कराते हैं।
★(5).भक्ति मार्ग में ईश्वर अर्थ दान करते हैं। क्यों ईश्वर के पास नहीं है क्या? या तो कहते हैं, कृष्ण अर्पणम्। परन्तु वास्तव में होता है ईश्वर अर्पणम्, मनुष्य जो कुछ करते हैं उनका फल दूसरे जन्म में मिलता है। एक जन्म के लिए मिल जाता है। अब बाप{परमात्मा} कहते हैं- मैं आया हूँ, तुमको 21 जन्म का वर्सा(जायदाद) देने।क्या आप 21 जन्म की जायदाद नि:शुल्क लेना चाहते है तो आज ही संपर्क करे - प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय या पीस आफ मांइड चैनल(pmtv) देखिए ।। =अच्छा!=ओम् शान्ति।।
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद।
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