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Friday, May 14, 2021

आज की मुरली का सार 15.05.2021 =शिवबाबा,आत्मा,आत्मा सो परमात्मा,सतयुग ,गीता ज्ञान दाता

z                          ** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **

**नोट = जरूरी इन बातो को  आप स्वीकार कर लेवे।**





★(1)शिवबाबा समझाते हैं, भगवानुवाच - मनुष्य सब पतित हैं। पतित तो भगवान हो नहीं सकता। पतित-पावन को बुलाते हैं क्योंकि पतित हैं। देहधारियों को भगवान नहीं कह सकते। भगवान निराकार शिव को कहा जाता है, शिव के मन्दिर भी बहुत हैं।


★(2) भक्ति मार्ग में साक्षात्कार के लिए नौधा भक्ति करते हैं। परन्तु भक्ति करने वालों ने कब साक्षात्कार नहीं किया है। वह {आत्मा} क्या चीज़ है, यह बिल्कुल नहीं जानते हैं। सिर्फ कहते हैं- वह निराकार है। बातचीत तो आत्मा करती है। संस्कार भी आत्मा में रहते हैं। आत्मा निकल जाती है तो न आत्मा, न शरीर बात कर सकते हैं। आत्मा बिगर शरीर कुछ कर न सके। पहले तो आत्मा को पहचानना है और बाप{परमात्मा} द्वारा ही बाप को पहचान सकेंगे। आत्मा को परमपिता परमात्मा का साक्षात्कार कैसे हो सकता है , आत्मा और परमात्मा का सरल परिचय प्राप्त करने के लिए आज ही संपर्क करे - प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय या पीस आफ मांइड चैनल(pmtv) देखिए 


★(3) दुनिया को यह पता ही नहीं है कि परमपिता परमात्मा कब आयेंगे। कैसे आकर समझायेंगे? न जानने के कारण मतभेद में आ जाते हैं। उन सबका मदार है शास्त्रों पर। परमात्मा कहते हैं- उनसे न तुम मुझे रियलाइज कर सकेंगे, न अपने को रियलाइज़ कर सकेंगे। वह तो कह देते आत्मा सो परमात्मा। ऐसे कहने से क्या होता। हमको पतित से पावन कौन बनायेंगे? त्रिकालदर्शी कौन बनायेंगे? कोई भी आत्मा और परमात्मा का ज्ञान तो दे नहीं सकते इसलिए तुम(ब्रह्माकुमार/कुमारी) कहते हो जो आत्मायें अपने बाप{परमात्मा} को नहीं जानती हैं, वह नास्तिक हैं। वो(साधु,सन्यासी,गुरू,मनुष्य) फिर कह देते कि जो भक्ति नहीं करते, वह नास्तिक हैं।


★(5) भगवान तो सबका एक है, सब आत्मायें भाई-भाई हैं। परमात्मा सबका बाप(आत्माओं के पिता) है।पुकारते हैं पतित-पावन आओ तो जरूर वह पावन है, वह कभी पतित होते नहीं। बाप ही आकर पतितों को पावन बनायेंगे। सतयुग में सब हैं पावन। कलियुग में सब हैं - पतित। पतित{कलियुग के अंत तक 800 करोड जनसंख्या} बहुत होते हैं, पावन{सतयुग मे 9 लाख, त्रेता मे 33 करोड़} थोड़े होते हैं। सतयुग में सब तो नहीं जायेंगे। जो पतित से पावन बनते हैं, वही पावन दुनिया में जाते हैं। बाकी सब निर्वाण दुनिया(परमधाम=आत्मा और परमात्मा बिन्दु स्वरूप स्थिति में रहते है) में चले जायेंगे। यह भी जानते हैं, सारी दुनिया आकर मत नहीं लेगी। अभी सबकी कयामत का समय है। विनाश सबका होना है।



★(6) शिवबाबा ही पतित-पावन ठहरा, वही समझाते हैं। गीता में भी अक्षर मशहूर हैं। पतित-पावन बाप ही कहते हैं कि मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। गीता से ही यह अक्षर तैलुक रखते हैं। शिवबाबा ने कहा है - मुझे याद करो। मैं सर्वशक्तिमान्, पतित-पावन हूँ। गीता ज्ञान दाता, ज्ञान का सागर हूँ। गीता के अक्षर तो हैं ना। सिर्फ वह(साधु,सन्यासी,गुरू) कहते हैं कृष्ण भगवानुवाच, तुम(ब्रह्माकुमार/कुमारी)  कहते हो शिव भगवानुवाच। भगवान निराकार है, वह कभी पुनर्जन्म में नहीं आते हैं, अलौकिक दिव्य जन्म लेते हैं। खुद ही समझाते हैं - मैं साधारण बूढ़े तन(प्रजापिता ब्रह्मा) में आता हूँ,— अब साधारण बूढ़े तन में कैसे आते है यह जानने के लिये आज ही संपर्क करे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय या पीस आफ मांइड चैनल(pmtv) देखिए।


**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद। 

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