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Sunday, May 30, 2021

आज की मुरली का सार 31.05.2021 =शान्ति,परमधाम,मेला

 

                             ** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **

**नोट = जरूरी इन बातो को  आप स्वीकार कर लेवे।**


★(1)अब बाप(परमात्मा) बच्चों[सभी मनुष्य आत्माओ को] को कहते हैं - एक तो शान्तिधाम(परमधाम)  को याद करो। सब मनुष्य मात्र शान्ति को ढूँढ़ते रहते हैं, कहाँ से शान्ति मिलेगी? अब यह सवाल तो सारी दुनिया का है कि दुनिया में शान्ति कैसे हो? मनुष्यों को यह पता नहीं कि हम सब वास्तव में शान्तिधाम के रहने वाले हैं। हम आत्मायें शान्तिधाम में शान्त रहती हैं फिर यहाँ आती हैं, पार्ट बजाने। सो भी तुम बच्चों को मालूम है। अभी तुम पुरुषार्थ कर रहे हो सुखधाम जाने वाया शान्तिधाम। हर एक की बुद्धि में है हम आत्मायें अभी जायेंगी अपने घर, शान्तिधाम। यहाँ तो शान्ति की बात हो नहीं सकती। यह है ही दु:खधाम(द्वापर,कलियुग) । सतयुग पावन दुनिया, कलियुग है पतित दुनिया। इन बातों की समझ अभी तुम बच्चों को आई है। दुनिया वाले तो कुछ भी नहीं जानते हैं।


★(2). भक्ति मार्ग में भी यह चला आता है। हमेशा अंगुली दिखाते हैं कि परमात्मा को याद करो। परमात्मा अथवा अल्लाह वहाँ है। परन्तु सिर्फ ऐसे ही याद करने से कुछ होता थोड़ेही है। उनको यह भी पता नहीं है कि याद से क्या फायदा होगा! उनके साथ हमारा क्या सम्बन्ध है? जानते ही नहीं। दु:ख के समय पुकारते हैं - हे राम... आत्मा याद करती है। परन्तु उनको यह पता नहीं है कि सुख-शान्ति किसको कहा जाता है।तुम्हारी बुद्धि में आता है कि हम सब एक बाप की सन्तान{परमात्मा हम सब मनुष्य आत्माओ के पिता है} हैं तो फिर दु:ख क्यों होना चाहिए? बेहद के बाप से सदा सुख का वर्सा(जायदाद)  मिलना चाहिए। यह भी चित्र में क्लीयर है। भगवान है ही स्वर्ग की स्थापना करने वाला, हेविनली गॉड फादर। वह आते भी भारत में ही हैं। परन्तु यह कोई समझते नहीं हैं। देवी देवता धर्म की स्थापना जरूर संगम पर ही होगी, सतयुग में कैसे होगी! परन्तु यह बातें किसी को पता नही है।।


★(2). वह मेले तो जन्म-जन्मान्तर करते आये। परन्तु बाप{परमात्मा}  कहते हैं - इससे वापिस अपने घर(परमधाम) कोई भी जा नहीं सकते क्योंकि जब आत्मा पवित्र बने तब जा सके। परन्तु अपवित्र होने के कारण सबके पंख टूटे हुए हैं। आत्मा को पंख मिले हैं, योग{परमात्मा की याद} में रहने से आत्मा सबसे तीखी उड़ती है। कोई का हिसाब-किताब लन्दन में, अमेरिका में होगा तो झट उड़ेंगे। वहाँ सेकण्ड में पहुँच जाते हैं। लेकिन मुक्तिधाम(परमधाम)  में तो जब कर्मातीत हो तब जा सकें, तब तक यहाँ ही जन्म-मरण में आते हैं। जैसे ड्रामा टिक-टिक हो चलता है। आत्मा भी ऐसे है, टिक हुई यह गई। इन जैसी तीखी और कोई चीज़ होती नहीं। ढेर की ढेर सब आत्मायें मूलवतन(परमधाम)   में जाने वाली हैं। आत्मा को कहाँ का कहाँ पहुँचने में देरी नहीं लगती है। मनुष्य यह बातें समझते नहीं।।।।।।🌀 🌺* 🌺  🍁  =अच्छा!=ओम् शान्ति= 🍁  🌸 🌀🌟🌀🌟🌀


**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद। 

अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर  आपको लगे कि इस पोस्ट के विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे। = सहदृय से धन्यवाद



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