**क्रोध के कारण व निवारण**
** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
नोट =जरूरी इन बातो को सहदृय से आप स्वीकार कर लेवे।
क्रोध तो क्रोधी को भी प्रिय नहीं होता।
एक धारणा कि गुस्से से मेरे काम हो जाते है- प्यार से लोग बिगड जाते है- क्या लोग आपसे व्यवहार और काम प्यार से करे या क्रोध से ?
वास्तविकता तो यह है कि क्रोध ही मनुष्य को निर्बल बनाता है।
क्रोध आपकी पत्नी को प्रिय नही क्रोध आपके बच्चो को प्रिय नहीं। फिर इस अप्रिय से प्यार क्यो ?
क्रोध का जन्म अंहकार व कामनाओं से होता है।
कहा जाता है कि क्रोध की शुरूआत मूढता से व अंत पश्चाताप से होता है।
व्यवहार में ध्यान दे मनुष्य के क्यो के प्रश्न के कारण ही प्रायः क्रोध ऊठता है।
ध्यान दे कही आप ये तो नही मान बैठे कि क्रोध के बिना सब कुद कंट्रोल से निकल जायेगा।
क्रोध को धैर्य से जीते। ऐसा धैर्य बना ले, तुरन्त प्रक्रिया नही करनी। कुछ भी बात हो, क्रोध दिलाने वाली परिस्थितिया आ जाये तो सोचना कि 10सकेण्ड बाद क्रोध करेगे।
हमसे क्रोध करता है, तो सहनशीलता व सरलता से स्वय को शांत करे। अपन से बात करे कि वह व्यक्ति अपना क्रोधी स्वभाव नहीं छोडता तो हम अपना शांत स्वभाव क्यो छोडे। पक्का कर दे कि मै सहनशीलता की देवी या देवता हूॅ।
बदले की भावना, ईष्या,घृणा - ये सभी क्रोध के बीज है।
बदले लेने की भावना से अपना अकल्याण होता है।
मुख से क्रोध वंश कटु वाणी बोलकर आप अपने मुख को विषैला न करे।
ये मुख अच्छे वाक्य व आपका हाथ दूसरो को मारने के लिए नही उन्हे दुवायें व आर्शीवाद देने के लिए है।
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद।
अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको आपको लगे कि इस पोस्ट विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे।— सहदृय से धन्यवाद
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