** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? ** **नोट = जरूरी इन बातो को आप स्वीकार कर लेवे।**
**महावीर अर्थात महारथी ’ =
कोई भी कितनी विकराल रूप की परिस्थिति हो या बडे रूप की समस्या हो लेकिन स्टेज ऊंची होने के कारण वह बिल्कुल छोटी लगेगी। बड़ी बात अनुभव नही होगी और न विकराल अनुभव होगी।
जैसे - ऊंची पहाड़ी पर खड़े होकर नीचे की कोई भी चीज को देखो तो घड़ी चीज भी छोटी नजर आती है ना। घडे से बड़ा कारखाना भी एक मॉडल रूप सा दिखाई पड़ता है।
इस रीति महारथी के महान् पुरुषार्थ के सामने उसे कोई भी बड़ी बात अनभव नही होगी। तो महावीर अथति महारथी के महान पुरुषार्थ की यह दो निशानियाँ है जिसको दूसरे शब्दो मे कहा जाता सूली, काटौँ अनुभव होगा।
**महावीर =" सभी निश्चयबुद्धि विजयन्ती हो ना! निश्चय में कभी डगमग तो नहीं होते हो? अचल, अडोल, महावीर हो ना? महावीर की विशेषता क्या है? सदा अचल अडोल, संकल्प वा स्वप्न में भी
व्यर्थ संकल्प न आए, इसको कहा जाता है अचल, अडोल, महावीर | तो ऐसे हो ना? जो कुछ होता है, उसमें कल्याण भरा ~ हुआ है। कोई भी बात एक काल की दृष्टि से नहीं देखो, त्रिकालदर्शी हो करके देखो। अब यह क्यों? अब यह क्या? ऐसे नहीं, त्रिकालदर्शी होकर देखने से सदा यही संकल्प रहेगा कि जो हो रहा है उसमें कल्याण है। ऐसे ही त्रिकालदर्शी होकर चलते हो ना?
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद।
अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको लगे कि इस पोस्ट के विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे। = सहदृय से धन्यवाद **
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