** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? ** **नोट = जरूरी इन बातो को आप स्वीकार कर लेवे।**
**माता प्रथम गुरू = माता ही बच्चे का सबसे पहला गुरु है परन्तु आज माता-पिता इस बात का तो ख्याल रखते हैं कि बच्चे मोटे-ताजे और पढ़े-लिखे हुए हों परन्तु उनकी आत्मा भी बलवान हो और वे ऐसी विद्या भी पढ़ें जिससे कि उनका चरित्र ऊँचा उठे - इस बात पर वे कम ध्यान देते हैं। आज देश के नेताओं की, मन्त्रियों की, विद्यार्थियों की, कारखानादारों की तथा मजदूरों की जो स्थिति है, उसकी सारी ज़िम्मेवारी माता पर है क्योंकि बच्चे का शुरू का समय अधिकतर माता के साथ गुज़रता है और माँ से उसका बहुत प्यार होता है। माँ शुरू से उसे जैसे चाहे वैसे ही मोड़ सकती है। जब बच्चा पंगूड़े में होता है तब माँ उसे चाहे तो राजा बनने के योग्य बना दे और चाहे तो उसे बिगाड़ कर एक आतंकवादी, उग्रवादी बना दे। माता के संस्कारों और विचारों का प्रभाव तो गर्भ में भी बच्चे पर माना गया है। अत: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माताओं-कन्याओं पर ही अधिक ध्यान देता है क्योंकि जब यह मातृ-शक्ति जागेगी तभी देश का कल्याण होगा, तब देश के मनुष्य सदाचारी होंगे।
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस पोस्ट को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद।
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