** मेरे प्यारे भाइयो और बहनो आप कैसे हो ?
(9) “मन की अशान्ति का कारण क्या है ? - वास्तव में हरेक मनुष्य की यह चाहना अवश्य रहती है कि हमको मन की शान्ति प्राप्त हो जावे इसलिए अनेक प्रयत्न करते आये हैं मगर मन को शान्ति अब तक प्राप्त नहीं हुई, इसका वास्तवकि कारण क्या है? अब पहले तो यह सोच चलना जरुरी है कि मन के अशान्ति की पहली जड़ क्या है? मन की अशान्ति का मुख्य कारण है - कर्मबन्धन में फंसना। जब तक मनुष्य इन पाँच विकारों( काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार)के कर्मबन्धन से नहीं छूटे हैं तब तक मनुष्य अशान्ति से छूट नहीं सकते। जब कर्मबन्धन टूट जाता है तब मन की शान्ति अर्थात् जीवनमुक्ति को प्राप्त कर सकते हैं। अब सोच करना है - यह कर्मबन्धन टूटे कैसे? और उसे छुटकारा देने वाला कौन है? यह तो हम जानते हैं कोई भी मनुष्य आत्मा किसी भी मनुष्य आत्मा को छुटकारा दे नहीं सकती। यह कर्मबन्धन का हिसाब-किताब तोड़ने वाला सिर्फ एक परमात्मा है, वही आकर इस ज्ञान(राजयोग) योगबल(परमात्मा की याद) से कर्मबन्धन से छुड़ाते हैं इसलिए ही परमात्मा को सुख दाता कहा जाता है। जब तक पहले यह ज्ञान नहीं है कि मैं आत्मा हूँ, असुल में मैं किसकी सन्तान हूँ, मेरा असली गुण क्या है? जब यह बुद्धि में आ जाए तब ही कर्मबन्धन टूटे। अब यह नॉलेज हमें परमात्मा द्वारा ही प्राप्त होती है गोया परमात्मा द्वारा ही कर्मबन्धन टूटते हैं।
**मेरे अति प्यारे भाइयो और बहनों आपने अपना किमती समय निकालकर इस कहानी को पढ़ा इसके लिए धन्यवाद। अगर पोस्ट पढ़ने के बाद आपके मन में क्या प्रतिक्रिया हुई कृप्या कमेंट कीजिए और अगर आपको आपको लगे कि इस पोस्ट विचार किसी के काम आ जाये तो कृप्या इसे शेयर कीजिए। अच्छा मिलते रहेंगे।— सहदृय से धन्यवाद
NICE THOUGHTS JEE
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