** मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप कैसे हो जी ? **
**नोट = जरूरी इन बातो को आप स्वीकार कर लेवे।**
@ नवरात्री पर्व की शुभ कामनाए - जय माता दी ।अष्ट-सिद्धियाँ,
अष्ट-शक्तियाँ= अष्ट- शक्तियों का
ही दूसरा रूप हैं। ‘सिद्धि’ और ‘शक्ति’ पर्यावाची शब्द हैं।
(6) ईशित्वम यानि
ऐश्वर्य — (बड़प्पन) को छठी सिद्धि रूप में जाना जाता है। परन्तु किसी भी योगी या पुरूषार्थी
के लिए ऐश्वर्य या बड़प्पन की इच्छा रखना, खुद की आध्यात्मिकता प्रगति को रोकना है।
यह एक ऐसा सोने का पिंजरा है, जिसमें अच्छे—अच्छे महारथी भी, अनजाने में खुद को उसी
प्रकार बंद कर लेते हैं जैसे कि एक चूहा, रोटी के लालच में चूहेदानी में बंद हो जाता
है। चूहे को अपनी गलती का अहसास तुरन्त हो जाता है परन्तु मनुष्यों को काफी देर से
होता है । वास्तव में ईश्वत्वम का अर्थ है ईश्वर के नजदीक आना, आत्मा का ऐश्वर्यशाली
बनना और शरीर से श्रेष्ठ गौरवशाली कर्म करना अर्थात् ईशिता(सब पर सु—प्रभाव डालने की
शक्ति) प्राप्त करना। दूसरो पर अच्छा प्रभाव तब डाला जा सकता है जब बेहद की अचल—अड़ोल
स्वस्थिति हो एवं जीवन जन—कल्याण के कार्यो में लगा हो। इसके लिए सहनशक्ति रूपी सुरक्षा—वस्त्र
धारण करना आवश्यक है। सहनशक्ति् के क्षमावृत्ति और धैर्य के गुण का होना आवश्यक
है जिनसे उत्पन्न शुभभावना और शुभकामना शत्रु का हृदय परिवर्तन कर देती है। ईशित्वम
रूपी सिद्धि की प्राप्ति का स्त्रोत 'सहनशक्ति'है।
(7) 'वशित्वम' को सातवीं अष्ट—सिद्धि = बतलाया गया है जिसका अर्थ है सबको अपने वश्स में करना। यह तब सम्भव है जब नम्र, नि:स्वार्थ,भातृत्व और सम—भाव से सबसे पेश आया जाए और सबके 'मन' के द्वारा खुद को स्वीकार कराया जाए। इसके लिए सर्व का सहयोगी होना और सर्व का सहयोग स्वत: प्राप्त कर लेना आवश्यक है। यह 'सहयोग की शक्ति' के द्धारा ही सम्भव है। 'वशित्वम' शब्द से जादू—टोने द्वारा सम्मोहित कर दिए जाने के जैसा आभास मिलता है जो कि तामसिक क्रियाएँ है। आम व्यक्ति अक्सर अपनी समस्याओं के समाधान हेतु तांत्रिक से सम्पर्क कर 'वशीकरण मन्त्र' जैसी सिद्धि हासिल करना चाहता है परन्तु ऐसी सिद्धियों से किसी का स्थाई कल्याण हुआ हो ऐसा देखने में नहीं आता। 'वशित्वम' की बजाय यदि इसके विपरीत 'शिवत्वम' यानि कल्याणकारी शिव परमात्मा से अष्ट शक्तियों का वरदान प्राप्त किया जाए तो इससे ऊँची सतोगणी प्राप्ति मनुष्य के जीवन में और कोई हो नहीं सकती। शिव परमात्मा के यथार्थ स्वरूप व उसकी अलौकिक क्रियाओं को जब मन,बुद्धि और विवेक से परख कर निश्चयपूर्वक जान लिया जाता है है तो अलौकिक प्राप्तियाँ जिनमें अष्टशक्तियाँ भी है, लौकिक जीवन को पलट कर रख देती है।=''ईश्वरीय सत्य ज्ञान को नि:शुल्क प्राप्त करने के लिए आज ही संपर्क कर:— =(प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय) & पीस आफ मांइड चैनल देखिए ।
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